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साउथ इंडियन सिनेमा में बॉलीवुड स्टार्स की एंट्री ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। बॉबी देओल और संजय दत्त की विलेन के रूप में प्रमुख भूमिकाएं निभाने वाली फिल्में ‘कंगुवा’और ‘केडी द डेविल’ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री के भीतर बहस को जन्म दिया है।

साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के कई जाने-माने कलाकार और निर्माता यह सवाल उठा रहे हैं कि बॉलीवुड स्टार्स की एंट्री से स्थानीय प्रतिभाओं को धकेला जा रहा है। उनके मुताबिक, बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों को लाना स्थानीय कलाकारों के अवसरों को कम कर रहा है और इससे साउथ की फिल्मों की पहचान भी प्रभावित हो रही है।

 

कंगुवा में बॉबी देओल की खूंखार विलेन के रूप में एंट्री और केडी द डेविल में संजय दत्त की धमाकेदार भूमिका को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई प्रशंसकों का मानना है कि बॉलीवुड स्टार्स की एंट्री से फिल्में और भी आकर्षक हो रही हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की मौलिकता को खतरे में डाल रहा है।

संजय दत्त, जो पहले भी साउथ फिल्मों में नजर आ चुके हैं, ने इस बार अपने नए अवतार से सभी को चौंका दिया है। वहीं, बॉबी देओल की पहली बार साउथ फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री को लेकर भी काफी चर्चाएं हो रही हैं। फिल्म निर्माताओं का कहना है कि इन बॉलीवुड स्टार्स की उपस्थिति से फिल्मों की ग्लोबल अपील बढ़ेगी और बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन होगा।

हालांकि, साउथ इंडियन सिनेमा के पारंपरिक प्रशंसक इस बात से नाराज हैं कि बॉलीवुड सितारों को प्राथमिकता देकर साउथ के टैलेंटेड कलाकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह विवाद इस सवाल को भी जन्म देता है कि क्या साउथ फिल्म इंडस्ट्री अपनी पहचान खो रही है या यह एक रणनीतिक कदम है जिससे उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।

जैसे-जैसे इन फिल्मों की रिलीज डेट नजदीक आ रही है, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद कहां तक जाएगा और क्या दर्शक इन फिल्मों को स्वीकार करेंगे या नहीं। एक बात तो तय है कि साउथ इंडियन सिनेमा के इस नए दौर ने इंडस्ट्री में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

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